यह ब्लॉग सभी आयु के लोगो के लिए हैं. जो दूसरी शादी के बारे में सोच रहे होंगे की वे इसे जरुर से जरुर पढ़े. भारत में अब साल दर साल लड़कियों की संख्या कमती जा रही हैं.इसका कारण भ्रूण हत्या बताया जा रहा हैं. भ्रूण हत्या मतलब बच्चे के जन्म के पहले हत्या. वह भ्रूण जो अपनी माँ के गर्भ में पलकर नई दुनिया में आने का इंतज़ार कर रहा होता हैं. उसे हमारे यहाँ के अशिक्षित और अर्धशिक्षित लोग मार देते हैं. क्या हमारे यहाँ लड़की का जन्म लेना पाप हैं.? क्या जो काम लड़के किया करते हैं .उसे लड़की नहीं कर सकती हैं? आज लडकिया हर काम कर रही हैं. वह आज पुरषों को कड़ी टक्कर दे रही हैं. आज लडकिया हर क्षेत्र में टॉप कर रही हैं. .उनमे लड़कियों ने लडको को पीछे छोड़ दिया हैं.मानव समाज की रचना तभी संभव हैं ,जब महिला और पुरुष हो .सिर्फ पुरुषो से ही इस विशव की कल्पना नहीं की जा सकती हैं. और इसे कन्या भ्रूण हत्या करने वाले भी भली भांति जानते हैं .हमारे धार्मिक ग्रंथो में महिला को देवी की संज्ञा दी गयी हैं .दरअसल हमारे समाज में पित्रसत्ता रही हैं जिसमे लडको को ही सारे अधिकार दिए गए हैं. लडकियों के लिए शर्त ही शर्त हैं. मसलन वह दाह संस्कार स्थल पर नहीं जा सकती हैं ,वह मृत व्यक्ति को आग नहीं दे सकती हैं .वगैरह -वगैरह.
कन्या भ्रूण हत्या के कारण जनसँख्या असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई हैं. नई जनगणना के आंकड़े पर यदि गौर करे तो सबसे ख़राब स्थिति पंजाब ,चड़ीगढ़ (केंद्र-शासित ),राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ,हरियाणा की हैं .जहा लडकियों की संख्या तेजी से घटती जा रही हैं .जबकि ये सभी राज्य आर्थिक दृष्टि से संपन्न हैं. कुछ समय पहले हरियाणा विधानसभा के चुनाव में युवाओ की टोली ने यह शर्त रखा था की जो दल हमारी शादी करवाएगा उसी को हम वोट देंगे . (समाचार चैनल पर देखा ) .वही केरल एकलौता राज्य हैं जहा लडकियों की संख्या लडको से कही अधिक हैं .लडकियों की घटती संख्या चिंता का विषय बनी हुई हैं. कन्या भ्रूण हत्या करने वाले भी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं की लड़की ही बच्चो को जन्म देती हैं.वह जानबूझकर यह अक्षम्य अपराध करते हैं अगर धर्मो पर नजर डाला जाये तो सिखो में यह स्थिति काफी ख़राब हैं .जबकि सिख समृद्ध होते हैं.
भारत में एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजर -बसर करती हैं. हमारे समाज में दहेज़ दानव प्रथा भी इसके लिए उत्तरदायी हैं .गरीब यह सोचता हैं की अगर लड़की हुई तो उसकी शादी -विवाह में दहेज़ देने पड़ेंगे .यदि लड़का हुआ तो पढ़ -लिखकर अपने और अपने परिवार का नाम रौशन करेगा . वह सोचता हैं की लड़की को तो पढ़ा -लिखाकर पराया घर ही तो भेजना हैं तब हम उसे क्यूँ पढाये . आपने बहुत जगहों पर देखा होगा की माता -पिता लडको को अच्छे विधालयो में पढ़ाते हैं जबकि लड़की को घर का काम-काज सिखाते हैं .यदि पढ़ाते भी हैं तो सामान्य विधालयो में .वे यह नहीं समझ पाते की लडकियों को शिक्षा देने के क्या दूरगामी परिणाम होंगे . वैसे यह कहा जा सकता हैं की महिला ही महिला की दुश्मन होती हैं .महिला की सहमती से ही कन्या भ्रूण हत्या जैसा घृणित अपराध को अंजाम दिया जाता हैं. महिला भी बेटो को ही पसंद करती हैं .बेटियों को नहीं .यहाँ मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की सभी महिलाये ऐसा नहीं करती हैं .कन्या भ्रूण हत्या महिलाये मजबूरी में भी करती हैं क्यूँ की उन्हें अपने ससुराल वालो के द्वारा प्रताड़ित किया जाता हैं .उनपर तरह -तरह के लांछन लगाये जाते हैं .लेकिन भ्रूण को मारने में उनकी मौन सहमती तो रहती ही हैं .
अगर इसी तरह लडकियों की संख्या घटती रही तो गंभीर संकट उत्पन्न हो जायेगा . मानव समाज के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगेगा . भाइयो की कलाई पर रक्षा कवच कौन बाधेंगा ?बेटो के लिए बहुए कहा से आएगी ?अगली पीढ़ी के लिए माँ का कोख कौन उपलब्ध कराएगा ?यदि अगली पीढ़ी को इस दुनिया में जन्म लेने हैं और उनके जीवन को आगे बढ़ाना हैं तो आज की बेटी को जीने का अधिकार देना होगा और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना होगा. मेरे विचार से कन्या भ्रूण हत्या करने वाले राजद्रोही हैं .क्यूँ की वे इस तरह के जघन्य अपराध कर राष्ट्र के विकास को अवरूद्ध कर रहे हैं.डाक्टर को हमारे समाज में भगवन कहा जाता हैं लेकिन वे भी इसमे सहयोगी बन रहे हैं .(सभी डाक्टर नहीं जो यह अपराध करते हैं वे ) सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह हैं की हम शिक्षा के क्षेत्र में नित्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं और लडकियों की संख्या और उन्हें सुरक्षा देने में पीछे जा रहे हैं .आप यदि नई जनगणना के रिपोर्ट को देखे तो गावो के तुलना में शहरों में कन्या भ्रूण हत्या की दर अधिक हैं .
सरकार ने इस समस्या को रोकने के लिए भ्रूण का लिंग परीक्षण करना अपराध घोषित किया हैं.प्रसव पूर्व भूर्ण परीक्षण के दुरूपयोग को रोकने के लिए सन 1994 में "प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक नियमन" और दुरूपयोग निवारण अधिनियम 1994 को 1 जनवरी 1996 को लागू किया .इस कानून के अनुसार इस प्रकार का अपराध करने वाले लोगो को 5 वर्ष की सजा और 50 ,000 रूपये की सजा का प्रावधान किया गया हैं .यह राशि आरसीएच -2 कार्यक्रम के अंतर्गत सम्बंधित जिले के मुख्या चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से दी जाएगी .भारतीय दंड संहिता की धारा -312 से लेकर 315 तक में भ्रूण हत्या रोकने सम्बन्धी विभिन्न प्रावधान किये गए हैं. धारा 315 शिशु को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी हत्या करने के आशय से किये गए गए कार्य के सम्बन्ध में सम्बंधित व्यक्ति को 10 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान हैं.कन्या भ्रूण हत्या तो मानव के अधिकार कानून का उल्लंघन हैं साथ -साथ संविधान का अपमान भी हैं .ऐसे लोगो लो छोड़ा नहीं जाना चाहिए .
इसे रोकने के लिए महिलाओ को आगे आना होगा और सरकार को कानून को कठोरता के साथ लागू करना होगा. पर्याप्त प्रचार -प्रसार करना होगा .लडकियों की शिक्षा पर व्यापक ध्यान देने होंगे ताकि वे आत्मनिर्भर बन सके और यदि उनके ससुराल वाले कन्या भ्रूण हत्या करने को कहे तो वे उसका विरोध कर सके .अंत में एक लड़की के शिक्षित होने से पूरा समाज शिक्षित होता हैं .
कन्या भ्रूण हत्या के कारण जनसँख्या असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई हैं. नई जनगणना के आंकड़े पर यदि गौर करे तो सबसे ख़राब स्थिति पंजाब ,चड़ीगढ़ (केंद्र-शासित ),राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ,हरियाणा की हैं .जहा लडकियों की संख्या तेजी से घटती जा रही हैं .जबकि ये सभी राज्य आर्थिक दृष्टि से संपन्न हैं. कुछ समय पहले हरियाणा विधानसभा के चुनाव में युवाओ की टोली ने यह शर्त रखा था की जो दल हमारी शादी करवाएगा उसी को हम वोट देंगे . (समाचार चैनल पर देखा ) .वही केरल एकलौता राज्य हैं जहा लडकियों की संख्या लडको से कही अधिक हैं .लडकियों की घटती संख्या चिंता का विषय बनी हुई हैं. कन्या भ्रूण हत्या करने वाले भी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं की लड़की ही बच्चो को जन्म देती हैं.वह जानबूझकर यह अक्षम्य अपराध करते हैं अगर धर्मो पर नजर डाला जाये तो सिखो में यह स्थिति काफी ख़राब हैं .जबकि सिख समृद्ध होते हैं.
भारत में एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजर -बसर करती हैं. हमारे समाज में दहेज़ दानव प्रथा भी इसके लिए उत्तरदायी हैं .गरीब यह सोचता हैं की अगर लड़की हुई तो उसकी शादी -विवाह में दहेज़ देने पड़ेंगे .यदि लड़का हुआ तो पढ़ -लिखकर अपने और अपने परिवार का नाम रौशन करेगा . वह सोचता हैं की लड़की को तो पढ़ा -लिखाकर पराया घर ही तो भेजना हैं तब हम उसे क्यूँ पढाये . आपने बहुत जगहों पर देखा होगा की माता -पिता लडको को अच्छे विधालयो में पढ़ाते हैं जबकि लड़की को घर का काम-काज सिखाते हैं .यदि पढ़ाते भी हैं तो सामान्य विधालयो में .वे यह नहीं समझ पाते की लडकियों को शिक्षा देने के क्या दूरगामी परिणाम होंगे . वैसे यह कहा जा सकता हैं की महिला ही महिला की दुश्मन होती हैं .महिला की सहमती से ही कन्या भ्रूण हत्या जैसा घृणित अपराध को अंजाम दिया जाता हैं. महिला भी बेटो को ही पसंद करती हैं .बेटियों को नहीं .यहाँ मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की सभी महिलाये ऐसा नहीं करती हैं .कन्या भ्रूण हत्या महिलाये मजबूरी में भी करती हैं क्यूँ की उन्हें अपने ससुराल वालो के द्वारा प्रताड़ित किया जाता हैं .उनपर तरह -तरह के लांछन लगाये जाते हैं .लेकिन भ्रूण को मारने में उनकी मौन सहमती तो रहती ही हैं .
अगर इसी तरह लडकियों की संख्या घटती रही तो गंभीर संकट उत्पन्न हो जायेगा . मानव समाज के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगेगा . भाइयो की कलाई पर रक्षा कवच कौन बाधेंगा ?बेटो के लिए बहुए कहा से आएगी ?अगली पीढ़ी के लिए माँ का कोख कौन उपलब्ध कराएगा ?यदि अगली पीढ़ी को इस दुनिया में जन्म लेने हैं और उनके जीवन को आगे बढ़ाना हैं तो आज की बेटी को जीने का अधिकार देना होगा और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना होगा. मेरे विचार से कन्या भ्रूण हत्या करने वाले राजद्रोही हैं .क्यूँ की वे इस तरह के जघन्य अपराध कर राष्ट्र के विकास को अवरूद्ध कर रहे हैं.डाक्टर को हमारे समाज में भगवन कहा जाता हैं लेकिन वे भी इसमे सहयोगी बन रहे हैं .(सभी डाक्टर नहीं जो यह अपराध करते हैं वे ) सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह हैं की हम शिक्षा के क्षेत्र में नित्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं और लडकियों की संख्या और उन्हें सुरक्षा देने में पीछे जा रहे हैं .आप यदि नई जनगणना के रिपोर्ट को देखे तो गावो के तुलना में शहरों में कन्या भ्रूण हत्या की दर अधिक हैं .
सरकार ने इस समस्या को रोकने के लिए भ्रूण का लिंग परीक्षण करना अपराध घोषित किया हैं.प्रसव पूर्व भूर्ण परीक्षण के दुरूपयोग को रोकने के लिए सन 1994 में "प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक नियमन" और दुरूपयोग निवारण अधिनियम 1994 को 1 जनवरी 1996 को लागू किया .इस कानून के अनुसार इस प्रकार का अपराध करने वाले लोगो को 5 वर्ष की सजा और 50 ,000 रूपये की सजा का प्रावधान किया गया हैं .यह राशि आरसीएच -2 कार्यक्रम के अंतर्गत सम्बंधित जिले के मुख्या चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से दी जाएगी .भारतीय दंड संहिता की धारा -312 से लेकर 315 तक में भ्रूण हत्या रोकने सम्बन्धी विभिन्न प्रावधान किये गए हैं. धारा 315 शिशु को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के पश्चात् उसकी हत्या करने के आशय से किये गए गए कार्य के सम्बन्ध में सम्बंधित व्यक्ति को 10 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान हैं.कन्या भ्रूण हत्या तो मानव के अधिकार कानून का उल्लंघन हैं साथ -साथ संविधान का अपमान भी हैं .ऐसे लोगो लो छोड़ा नहीं जाना चाहिए .
इसे रोकने के लिए महिलाओ को आगे आना होगा और सरकार को कानून को कठोरता के साथ लागू करना होगा. पर्याप्त प्रचार -प्रसार करना होगा .लडकियों की शिक्षा पर व्यापक ध्यान देने होंगे ताकि वे आत्मनिर्भर बन सके और यदि उनके ससुराल वाले कन्या भ्रूण हत्या करने को कहे तो वे उसका विरोध कर सके .अंत में एक लड़की के शिक्षित होने से पूरा समाज शिक्षित होता हैं .
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