मंगलवार, 29 जून 2010

भारत के विकाश में पंचायतो की भूमिका

हात्मा गाँधी का विचार था कि जब स्थानीय लोग शाशन -व्यवस्था में शामिल हो जायेंगे तब विकाश का काम सुचारू रूप हो सकेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 73वे और 74 वे संविधान संशोधन कर पंचायतों और नगरपालिकाओं का गठन कर उन्हें अधिकार प्रदान कए . इस संविधान संशोधन के द्वारा कुल 29 विषय पंचायतों को दिए गए. पंचायतों को ग्रामीण विकाश और आर्थिक विकाश के लिए योजना बनाने के अधिकार दिए गए. इनके अलावा पंचायत की वैसी महिलाए जो अब तक घर की चार दिवारी में रहने को मजबूर थी उन्हें आरक्षण देकर पंचायत प्रमुखों के पद तक पहुचने का अवसर प्राप्त हुआ.
दिसम्बर 1992में पारित संविधान के 73 वे और 74 वे के द्वारा संविधान के भाग 9 और 9 क जोड़ा गया. इन दो भागों में अनुच्छेद 243 से 243 ह तक कुल 34 नए अनुच्छेद तथा 11 वी और 12 वी दो नए अनुसूची को जोड़ा गया. गाँधी जी ग्राम राज्य के पक्षधर थे. उनके शब्दों में स्वाधीन भारत की राजनितिक व्यवस्था गाँव में होनी चाहिए.संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेदकर के के शब्दों में पंचायत भ्रष्टाचार,लूट-खसोट ,कामचोर दकियानूसी पिछड़ेपन , रुढ़िवादी विचार का प्रतीक रही हैं . इक समझौते के तहत गाँधी जी के प्रति समादर दिखाते हुए संविधान सभा ने निति निदेशक के अंतर्गत अनुच्छेद 40 में इसका उल्लेख कर दिया,
अनुच्छेद 40 के अनुसार राज्य पंचायतों के गठन सम्बन्धी कदम उठाएगा और उन्हें ऐसी शक्तिया प्रदान करेगा जिससे वे ग्रामीण विकाश के काम सही ढंग से कर सके. 73 वे और 74 वे संशोधन में उपबंध हैं की राज्य के विधानमंडल पंचायतों के लिए कानून बनायेंगे.
भारत के विकाश में पंचायतों का योगदान काफी महत्वपूर्ण हैं.क्यूँ की भारत एक कृषि प्रधान देश हैं और इसकी 70 प्रतिशत आबादी गांवो में निवास करती हैं.पंचायतों ने ग्रामीण समस्या का निराकरण गंभीरता पूर्वक किया हैं जिसका परिणाम भी हमारे सामने दिखा. जब मंदी का प्रकोप पूरी दुनिया को हिला रही थी तब हमारे देश के विकाश दर 7 से 8 फीसदी था. इसमे कृषि का योगदान था क्यूँ की भारत एक कृषि प्रधान देश हैं जैसा की मैंने पहले भी लिखा हैं और इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि हैं. जिसके कारण भारत में मंदी ने अपना असर काफी कम दिखाया.पंचायतों ने कृषि मेला का आयोजन कर किसानों को इस मेले के द्वारा नई तकनीक के बारे में जानकारी दी .

प्रकाशन विभाग कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पंचायती राज संस्थाओं कि कुल 52 करोड़ मतदाता हैं. जमीनी स्तर पर संस्थानों कि संख्या लगभग 2 .40 लाख हैं और पंचायतों में चुने गए जनप्रतिनिधियों कि संख्या 28 लाख हैं. पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण देने से महिला सशक्तिकरण में काफी लाभ हां हैं. इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता कि वर्त्तमान में महिला प्रतिनिधियों कि संख्या 10 लाख हैं जो कि कुल चयन का 37 % हैं. बिहार ने तो इस मामले में कमाल ही कर दिया वहा तो महिला जनप्रतिनिधियों कि संख्या 54 % तक जा पहुंचा हैं.
पंचायतों को भ्रष्टाचार से दूर रखे जाने कि जरुरत हैं क्यूँ कि ग्रामीण विकाश का अधिकांश कामों का जम्मा इसी के पास हैं . अतः इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों कि निगरानी होनी चाहियें तमाम कमियों के बावजूद पंचायतों में स्थानीय स्तर पर बहुत काम किये गए हैं और सरकार कि कल्याणकारी योजनाओं को संचालित किया जा रहा हैं. साथ ही लोगों को रोज़गार भी मिल रहा हैं.
आशा कि जानी चाहिए कि निकट भविष्य में पंचायती राज संस्थाओं कि खामिया दूर होंगी और वे भारत के ग्रामीण क्षेत्र के विकाश में अधिक से अधिक भूमिका निभायेंगी.

सोमवार, 28 जून 2010

भारत के सामने चार प्रमुख चुनौतिया है.
1. आतंकवाद- आतंकवाद दो शब्दों से मिलकर बना है-- आतंक+वाद .आतंक फ़ैलाने वाले आतंकवादी कहलाये. पिछले दो दशको से आतंकवादी तबाही मचाये हुए हैं .भारत पर दर्जनों बार हमले किये गए. 1993 का मुंबई में हुआ सीरियल धमाका हो, 2008 का हमला हो जिनमे से प्रमुख हमलो में मुंबई का ताज होटल, ओबरॉय होटल, नरीमन हाउस पर किया गया हमला हो. इन सबो ने आतंक के घिनौने चेहरों को दर्शाया हैं . कश्मीर में आतंकवादी घुस्पैट करने के फ़िराक में हमेशा रहते हैं. आतंकवादी के प्रमुख संगठनो में अलकायदा, लश्कर ए तैयबा, हिजबुल्लाह, तहरीक ए तालिबान आदि हैं . कुछ लोगो का मानना है की इसे आई एस आई जो पाकिस्तान की ख़ुफ़िया ब्यूरों हैं का सहयोग मिल रहा हैं . भारत सरकार ने इनसे निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड , राष्ट्रीय जाँच एजेंसी का गठन किया हैं .
इनसे निपटने के उपाये.
1 . सरकार को नेपाल की खुली सीमा पर निगरानी तेज करनी चाहिए .
2 .बंगलादेश सरकार से मिलकर आतंकवाद के विरुद्ध एक योजना बनानी चाहिए.
3 . पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनो पर कड़ी कार्यवाई करनी चाहिए .
4 . पाकिस्तान पर आतंकवादियो के खिलाफ कार्यवाई के लिए कुटनीतिक दवाब बनानी चाहिए .
2 . नक्सलवाद -- नक्सलवाद आज भारत की आंतरिक सुरक्षा का मामला बन गया हैं . रोज -रोज निर्दोष नागरिको, पुलिसकर्मियों की हत्या हो रही हैं . कहा जाता हैं कि यह अमीरों (जमींदारो) के द्वारा गरीबो के शोषण से उपजा हुआ आन्दोलन हैं .सरकार ने इनसे निपटने के लिए एक बड़ा अभियान छोड़ने का निर्णय लिया हैं जिसमे सी. आर. पी. एफ़.की विशेष बटालियन को लगाया जायेगा. नक्सलवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गाँव से हुई. आज भारत के 16 राज्य इस समस्या ग्रस्त हैं .
इनसे निपटने के उपाये.
1 . सरकार को नक्सलियों को वार्ता के लिए बुलाना चाहिए .
2 .विकाश कार्य तेजी से होने चाहिए.
3 . असंतोष की भावना को दूर करनी चाहिए .
4. पुलिसकर्मियों को आधुनिक हथियार और तकनीक उपलब्ध कराने चाहिए.
3 .बेरोजगारी-- आज भारत में बेरोजगारी एक विकराल समस्या बन गई हैं . सरकार को रोजगार के साधन उपलब्ध कराने चाहिए.सरकार ने नरेगा ,जवाहर रोजगार योजना, गरीवी उन्मूलन योजना चलाई हैं जिससे लोगो को रोजगार मिला हैं.
गरीवी दूर करने के उपाये .
1 .सरकार को लघु उधोग ,कुटीर उधोग को बढ़ावा देना चाहिए .
2 .बैंको से सस्ती क़र्ज़ उपलब्ध करनी चाहिए.
3 .रिक्त स्थानों को भरना चाहिए .
4 .नरेगा का कार्यान्वयन सही से होना चाहिए .
4 . अशिक्षा -- भारत की एक प्रमुख समस्या अशिक्षा हैं .2001 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 65 .38% हैं जिसमे पुरुष साक्षरता दर 75 .87 % और महिला साक्षरता दर 54 .16 %हैं . सरकार ने इसे दूर करने के लिए विभिन्न योजना चलाई हैं जिसमे भारत साक्षर मिशन ,सर्व शिक्षा अभियान प्रमुख हैं.
अशिक्षा दूर करने के उपाये.
1 जो भी योजनाये हैं उनका सही से कार्यान्वयन होना चाहिए
2 .शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना चाहिए .
3 .महिलाओ की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।


अतः सरकार को जल्द से जल्द इन सभी की ओर ध्यान देना चाहिए। आज भारत में भ्रष्टाचार एक गंभीर मुद्दा बन गया हैं। .जिनके लिए योजना बनाई जाती हैं उन्हें सही मायने में लाभ नहीं मिल पाता हैं .कारण क्या हैं। स्पस्ट हैं की हर जगह भ्रस्टाचार हैं. हर योजना की स्थिति बुरी हैं .किसी भी योजना का कार्यान्वयन सही से नहीं हो रहा हैं। .भ्रष्टाचारियो के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाई होनी चाहिए।